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जीवन का उद्देश्य दिव्य भगवान को समझना है​

जीवन का उद्देश्य दिव्य भगवान को समझना है​
अपनी वाणी पर संयम रखो, मन को दमित करो, प्राणवायु पर विजय पाओ, इंद्रियों को नियमित करो तथा विमल बुद्धि के द्वारा अपनी विवेकपूर्ण प्रतिभा को अपने वश में करो । इस तरह तुम पुनः भौतिक अस्तित्व के पथ पर कभी नही गिरोगे।

समस्त वस्तुओं को श्री भगवान की शक्ति के विविध अंग के रूप में देखना चाहिए और इस तरह मनसा-वाचा-कर्मणा, बिना किसी जीव या वस्तु का महत्व कम करते हुए सारी वस्तुओं के प्रति आदर भाव प्रकट करना चाहिए। चूँकि प्रत्येक वस्तु श्री भगवान की है अतएव हर वस्तु का उपयोग श्री भगवान की सेवा में होना चाहिए। स्वरूप सिद्ध भक्त अपना अपमान सह लेता है और किसी जीव से द्वेष नहीं रखता और नहीं वह किसी को अपना शत्रु समझता है । 
जीवन   →
जिंदगी से जुड़े सारे सवालों, शंकाओं तथा इंसानों के जीवन के सारे पहलुओं का आध्यात्मिक ज्ञान यहाँ उपलब्ध है।
जीवन का परिचय
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यही व्यावहारिक प्रबुद्धता है। यद्दपी शुद्ध भक्त ऐसे लोगों की आलोचना कर सकता है जो श्री भगवान के उद्देश्य में बाधक बनते हैं किंतु ऐसी आलोचना व्यक्तिगत स्तर पर या किसी द्वेष के वशीभूत हो कर नहीं की जाती । 

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श्री भगवान का एक उन्नत भक्त अपने अनुयायियों को प्रताड़ित कर सकता है या आसुरी लोगों की आलोचना कर सकता है किंतु वह श्री भगवान के उद्देश्य को बढ़ाने के लिए ही ऐसा करता है, किसी व्यक्तिगत शत्रुता या ईर्ष्या-द्वेष के कारण नहीं । जिसने जीवन की भौतिक धरना पूर्ण रूपेन त्याग दी है, उसके लिए जन्म मृत्यु के पथ पर पुनः चलने का प्रश्न ही नहीं उठता।    
​अनन्त ब्रह्मांड में श्री भगवान द्वारा रची गयीं सर्व श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है जीवनPicture
चर्चा
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Q.1 ​भौतिक धारणा किस तरह से त्यागी जा सकती है?
हालांकि धारणाओं में बदलाव चुनौतीपूर्ण होता है फिर भी यह संभव है। सबसे पहली बात तुम्हारे लिए यह जानना सही रहेगा कि हर एक धारणा जोकि तुम्हारे जीवन के​ लिए सब कुछ है वास्तव में वही धारणा किसी अन्य अस्तित्व में बहुत ही सामान्य सी महत्वता रखती है। और दूसरी बात धारणा को त्यागने की वजाये धारणा के ऊचे या अगले स्तर की धारणा को अपनाने के बारे में प्रयास करना शुरू करना चाहिए।  इस तरह से भौतिक जीवन अनुभव से आध्यत्मिक जीवन अनुभव की और अग्रषित हुआ जा सकता है।

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जीवन के अंश
जीवन दो स्खलनों का प्रतिफल नहीं
जीवन का लक्षण है कामना
चरम जीवन सिद्धि के लिए प्रयत्न
जीवन का परिचय
सत्य क्या है?
विस्तार से जानिये सत्य से सम्बंधित परम सत्य, ईश्वर एवं स्त्रोत की अवधारणा के बारे में।
जीवन 
आध्यात्मिक ज्ञान की ब्रह्म चर्चा में जीवन के बारे में कई सारे आध्यात्मिक विज्ञान के पहलु जैसे कि चेतन आत्मा, जीवन उत्पत्ति, स्वचालित घटनाए आदि का ज्ञान प्राप्त होता है। ​
आध्यात्मिक ज्ञान
परम् सत्य, शाश्वत ज्ञान तथा अनन्त आनंद की प्राप्ति आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करने से संभव हो जाती है।
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