Welcome Again!
Dear Teachers , lets start second part.
Role
Gaurav Sharma: Dear Ma'am , टीचर फेयर के फर्स्ट पार्ट में आपने पर्सन , व्यक्तित्व और करैक्टर के बारे मैं विस्तृत चर्चा की उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ।अब मैं सेकंड पार्ट शुरू करने जा रहा हूँ और इसमें Role, Responsibility और उस विनिंग टीचिंग फार्मूला के बारे मैं चर्चा करेंगे जो किसी टीचर को इंस्टिट्यूट का फेवरेट टीचर बनाने मैं मदद करेगा।
आपने अपने टीचिंग करियर का एक बहुत बड़ा पार्ट भरतपुर लोकल मैं सर्वे किया है और हम जानते है की बहुत सारे लोग आपको मैडम या टीचर के रोल मैं ज्यादा जानते है तो क्या आप टीचिंग जॉब मैं टीचर के रोल के बारे मैं हमें शार्ट मैं विवरण कर सकती हो।
Gaurav Sharma: Dear Ma'am , टीचर फेयर के फर्स्ट पार्ट में आपने पर्सन , व्यक्तित्व और करैक्टर के बारे मैं विस्तृत चर्चा की उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ।अब मैं सेकंड पार्ट शुरू करने जा रहा हूँ और इसमें Role, Responsibility और उस विनिंग टीचिंग फार्मूला के बारे मैं चर्चा करेंगे जो किसी टीचर को इंस्टिट्यूट का फेवरेट टीचर बनाने मैं मदद करेगा।
आपने अपने टीचिंग करियर का एक बहुत बड़ा पार्ट भरतपुर लोकल मैं सर्वे किया है और हम जानते है की बहुत सारे लोग आपको मैडम या टीचर के रोल मैं ज्यादा जानते है तो क्या आप टीचिंग जॉब मैं टीचर के रोल के बारे मैं हमें शार्ट मैं विवरण कर सकती हो।
Meera Sharma: एक शिक्षक व्यक्ति से परे है, वह न केवल एक व्यक्ति है बल्कि वह गुरु है, कभी वह लीडर होता है, कभी-कभी वह परिवार होता है, वह मित्र बनता है और कुछ मामलों में वह बहुत सख्ती से पेश आता है।आप जानते हैं कि टीचर के सामने बहुत बड़ी चुनौती होती है स्टूडेंट के जिंदगी को सवारने की और ना केवल स्टूडेंट का इंटेलेक्ट लेवल डेवेलोप करने की बल्कि संपूर्ण पर्सनालिटी बनाने की भी।
Gaurav Sharma: शिक्षक क्लासरूम मैं क्या परफॉर्म कर रहा है इसका सीधा प्रभाव छात्र के दृष्टिकोण पर पड़ता है। यह स्टूडेंट के लर्निंग दृष्टिकोण को डेवेलोप करता है। 3० साल, आपने अपने बहुमूल्य जीवन के 3० साल एजुकेशन को सिस्टम समर्पित किये हैं , आप हमारे शिक्षकों को क्या महत्वपूर्ण भूमिकाएं यहाँ पर समझाना चाहेंगे।
Meera sharma: मुझे पता है कि आपको फिल्में बहुत पसंद हैं ~~~ (हँसते हुए ), क्या अपने कभी नोटिस किया है जब आप अपने दोस्तों के साथ किसी मूवी की बात कर रहे होते हो तो सबसे पहले आपके mind मैं उस के एक्टर या एक्ट्रेस की इमेज आती है और इसके जस्ट बाद उनके प्रीवियस role like एक्शन , कॉमेडी , ड्रामा और कोई दूसरा भी पर यही वो टाइम होता है जो तुम्हे मूवी देखने के लिए मोटीवेट करता है अंदर से । ठीक इसी प्रकार एक टीचर की इमेज के साथ भी होता है वह क्लास मैं बाद मैं एंटर होता है उससे पहले उसकी इमेज स्टूडेंट के mind मैं फॉर्म हो जाती है और यह क्षण स्टूडेंट के लर्निंग attitude को subject सीखने के लिए मोटीवेट करता है। इसलिए यह बहुत जरुरी है की टीचर एक ऐसा रोले प्ले करे जो क्लासरूम मैं सारे स्टूडेंट्स को मोटीवेट करें स्टडी स्टार्ट करने के पहले।
Gaurav Sharma: मैं आपका आईडिया समझ गया , क्लास में टीचर के द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उद्देश्य हर छात्र को अध्ययन में शामिल करना है क्योंकि अगर वे शामिल नहीं हैं, तो वे अपनी समस्या, अपनी रूचि और मुद्दों को टीचर्स के साथ share नहीं करेंगे। क्या हम इस टीचर फेयर के उस स्टेज पर आ चुके है जहा पर आप हमारे सारे टीचर्स के साथ वो विनिंग फार्मूला शेयर करने वाली है जिनसे वो स्टूडेंट्स , पेरेंट्स और इंस्टिट्यूट के फेवरेट टीचर बन पाएंगे। हाँ मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक फिल्म का नाम है - Beautiful Mind ~~~ (हँसते हुए )
Meera sharma: ठीक है , साल के अंत मैं पेरेंट्स क्या देखना चाहते हैं? वे अपने बच्चों के एक निश्चित टाइम मैं किये गए प्रदर्शन को रिपोर्ट कार्ड मैं देखना चाहते हैं। और आपको पता है यह रिपोर्ट कार्ड या सर्टिफिकेट ना केवल बच्चे बल्कि टीचर और स्कूल के परफॉरमेंस को भी शो करता है। अगर आप इंस्टीटूटेशन के पर्पस को मोठे मोठे तौर पर देखे तो आप कह पाएंगे की "सीखने के लिए एक जगह" और इस माहौल को कहते है The culture of learning. और इस कल्चर को बनाने रखने के लिए जरुरी है की टीचर्स को पता हो की किस फार्मूला से वो अपने role की पहचान कर सकते हैं और वो विनिंग फार्मूला है
PDPEER , यह नाम है फार्मूला का और निम्नलिखित इस फार्मूला में ELEMENTS हैं
PDPEER , यह नाम है फार्मूला का और निम्नलिखित इस फार्मूला में ELEMENTS हैं
- Planning
- Delivery
- Problem Solving
- Examine
- Evaluate
- Reporting
Gaurav Sharma: बहुत बहुत धन्यवाद, मैं वास्तव में शिक्षकों के लिए इस फार्मूले को जानना चाहता था।यह शिक्षकों को सटीक ज्ञान का अभ्यास करने में मदद करेगा जो शैक्षणिक व्यवस्था की जरुरत है। पर यहाँ मैं टीचर्स की तरफ से यह भी पुष्टि करना चाहता हूँ की क्या समान फार्मूला सारे इंस्टिट्यूट मैं इम्प्लीमेंट किया जाता है। ^^^ (झिझकते हुए)
Meera Sharma: मुझे लगता है टीचर्स आपके लिए बहुत प्रिय है , क्या मैं सही हूँ ? ok मैं यहाँ इस फॉर्मूले को विस्तार मैं समझती हूँ तुमने कई बार फील किया होगा की जब टीचर क्लास मैं एंटर होता है तो उसके पास कुछ टीचिंग मटेरियल होता है और यह रिजल्ट है उसकी प्लानिंग का कि मैं क्लास मैं क्या करने जा रही हूँ या जा रहा हूँ। उसी तरह वह प्लानिंग के अनुसार बुक के कंटेंट डिलीवर करता है , फिर डिलीवर किये गए कंटेंट का आधार पर स्टूडेंट्स के brain में सीखने के लिए जिज्ञाषा पैदा करता है। और फिर इसी जिज्ञाषा के लेकर स्टूडेंट अपनी problems को जाहिर करना स्टार्ट करते है , टीचर्स इन प्रॉब्लम को ब्लैक बोर्ड और होम वर्क के मद्धम से सोल्वे करते है जिससे की स्टूडेंट के अंदर नॉलेज आना प्रारब्ध होता है। फिर स्टूडेंट द्वारा प्रैक्टिस की गयी नॉलेज को एग्जाम के द्वारा वापस पेपर पे लाया जाता है और फिर टीचर्स उसे बुक के रिफरेन्स से मिलान एवं चेक एवं परफॉरमेंस को मूल्यांकन करते हैं और आखिरकार इस सारे प्रोसेस को इंस्टिट्यूट के अधिकृत पेपर जिसे रिपोर्ट कार्ड कहते है पर मेंशन करके पेरेंट्स स्कूल मीटिंग के द्वारा पेरेंट्स तक इस रिपोर्ट को हैंड ओवर करते है।
Gaurav Sharma: oh my god ! मैं आश्चर्यचकित हूँ यह बहुत दिलचस्प प्रोसेस है। क्या आज से पहले भी आपने किसी टीचर को यह नॉलेज दी है , मेरा मतलब प्रोजेक्टर पर या सेमिनार मैं या पेरेंट्स टीचर मीटिंग्स में।
Meera Sharma: बहुत कम टीचर्स को। पर मेरा मानना है कि अगर टीचिंग से पहले प्रत्येक टीचर्स को इस फार्मूला से अवेयर कराया जाये प्रोजेक्टर या अन्य किसी डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से तो निश्चित रूप से एक टीचर क्लासरूम मैं बहुत उम्दा रोले अदा कर सकता है और हर एक स्टूडेंट की परफॉरमेंस को बहुत इम्प्रूव कर सकता है। टीचिंग जॉब में भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्या आप जानते हैं कि एक शिक्षक छात्र के लिए एक असली हीरो बन सकता है अगर वह अपने रोले से स्टूडेंट के मन में और ज्यादा सीखने की ललक पैदा कर पाए। टीचर के रोले को ना सिर्फ स्टूडेंट कैंपस मैं बल्कि पेरेंट्स घर पर तथा सोशल समारोह मैं भी एक एक दूसरे से discuss करते है
Responsibility
Gaurav Sharma: आपने सोसाइटी को अपने टीचिंग जॉब के माध्यम सेवा की है और सिर्फ टीचर ही नहीं आप एडमिनिस्ट्रेशन मैं भी थी , मैनेजमेंट मैं भी तो में यह जानना चाहता हूँ कि आप एक टीचर के पर्सनालिटी का जिम्मेदारी के आधार पर सराहना करने का निर्णय लेती थी जबकि वह पहले से ही अपनी भूमिका से class में काम कर चूका होता है।
Gaurav Sharma: आपने सोसाइटी को अपने टीचिंग जॉब के माध्यम सेवा की है और सिर्फ टीचर ही नहीं आप एडमिनिस्ट्रेशन मैं भी थी , मैनेजमेंट मैं भी तो में यह जानना चाहता हूँ कि आप एक टीचर के पर्सनालिटी का जिम्मेदारी के आधार पर सराहना करने का निर्णय लेती थी जबकि वह पहले से ही अपनी भूमिका से class में काम कर चूका होता है।
Meera Sharma: यहाँ आपका question सही है कि दिए गए रोले को पूरा करने के बाद जैसे और जॉब मैं होता है की आप फ्री हो पर हमारे फील्ड मैं वर्क कल्चर कुछ अलग होता है। एक एडमिनिस्ट्रेटिव होने के नाते मेरी पहली प्राथमिकता टाइम को लेकर रहती है चाहे वो आने का हो , या क्लासरूम मैं एंटर होने का हो या फिर सिलेबस को दिए गए टाइम मैं पूरा करने का। और दूसरा मैं अनुशासन पर बहुत ध्यान देती हूँ क्योंकि जिस भी इंस्टीटूशन मैं रूल्स और रेगुलेशन फॉलो नहीं होते वह ज्यादा दिन तक संचालित नहीं किय जा सकते। और इस प्रोसेस मैं स्टूडेंट से पहले टीचर्स आते है क्योंकि जो टीचर कर रहे है स्टूडेंट वही फॉलो करना स्टार्ट कर देते हैं।
Gaurav Sharma: आपने अपने टीचर करियर की शुरुआत बहुत काम सैलरी से की थी जो की उस टाइम की डिमांड के अनुसार भी बहुत कम थी ऐसे मैं अगर आप से टीचिंग करने के बाद कोई एक्स्ट्रा जिम्मेदारी की कहा जाता था तो आपका क्या रिएक्शन होता था।
Meera Sharma: हाँ । मैंने अपने टीचिंग प्रोफेशन की शुरुआत मात्र 200 रुपए की मासिक सैलरी से की थी जो की बहुत कम थी शायद। पर मैंने अपनी सैलरी को अपने टीचिंग लाइन मैं कभी भी बीच मैं नहीं आने दिया क्योंकि यह एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है स्टूडेंट और टीचर के बीच का जिसे मात्र सैलरी के नहीं देखा जा सकता है इसलिए जब भी मुझे कोई नहीं जिम्मेदारी दी जाती थी तो मैं अपनी पूरी चेतना से साथ उसका निर्वहन करती थी।
Gaurav Sharma: आप जानती हो कि हर एक पेरेंट्स अपने बच्चे के बेहतरीन भविष्य के लिए कई सारे त्याग करते है और उन्हें अच्छी से अच्छी एजुकेशन देने की कोसिस मैं लगे रहते है - यह मेरा इस टीचर फेयर का अंतिम सवाल है और वो है किस भाव के साथ आप क्लासरूम मैं एंटर होती थी।
Meera Sharma: आज जब लगभग 30-32 साल बाद अचानक कोई पूछता है मुझे पहचाना Ma`am आपने मुझे उस स्कूल मैं पढ़ाया था और जब मुझे पता चलता है की वो छोटा सा बालक डॉक्टर या टीचर या बिज़नेस के रूप मैं मेरे सामने खड़ा है तो इस पल का जो अनुभव है वो मैं बता नहीं सकती। मैने जब भी classroom मैं कदम रखा है तो सिर्फ एक ही दूरदर्शिता के भाव से की आने वाले सालों मैं से इनमे से हर बच्चा स्कूल तथा अपने माता पिता का नाम रोशन करेगा और समाज के सञ्चालन मैं एहम भूमिका निभाएगा।
Gaurav Sharma: Thank you Ma'am 🎁 , For sharing your 32 years of education knowledge at GSW. Through GSW I will always provide real knowledge of real people.
Questions & Answers
Chanchal Sharma-My question is, what is difference between role and responsibility in teaching job?
Teacher's role is to prepare children for life while teacher's responsibility is make students responsible for society. Answered by- VIdya Shinde, Pune.
Teacher's role is to prepare children for life while teacher's responsibility is make students responsible for society. Answered by- VIdya Shinde, Pune.
Akanksha Sharma Ph.D.Candidate: A beautiful teacher fair by Gaurav Sharma indeed. Highly inspiring experience of Meera Ma`am in teaching line. I trust it will empower the youth and especially young teachers and the society at the large.