अगर जिम्मेदारी लेने की इच्छा है तो टीचिंग जॉब बहुत कुछ देने के लिए तैयार है।
आज के दौर में एजुकेशन हाई कम्पटीशन की परिस्थियों से गुजर रहा है स्टूडेंट्स का बुक्स के प्रति इंटरेस्ट डेवेलप करना, स्टडी के लिए उनका सेल्फ मोटिवेशन बढ़ाना, क्लासरूम में लर्निंग कल्चर क्रिएट करना, आज के पेरेंट्स के साथ स्टूडेंट्स के ओवरआल रिजल्ट्स को लेकर डील करना तथा स्कूल मैनेजमेंट की अपेक्षाओं पर खरा उतरना टीचर के लिए चुनौती बन गया है।
पर हर एक चुनौती टीचर के लिए कई सारे अवसर पैदा कर रही है जिससे की टीचर अपने आप को स्टूडेंट्स, पेरेंट्स तथा मैनेजमेंट के सामने प्रूफ कर सकें और ऐसे में रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस का कांसेप्ट ना सिर्फ टीचर के आत्म विश्वास को बड़ा रहा है बल्कि क्लासरूम में इस कांसेप्ट की प्रैक्टिस से एक नए लर्निंग कल्चर का भी जन्म हो रहा है। स्टूडेंट्स पहले से ज्यादा रूचि ले रहे है, सीख रहे है और अपने सिलेबस के लिए अवेयर हो रहे हैं।
पर हर एक चुनौती टीचर के लिए कई सारे अवसर पैदा कर रही है जिससे की टीचर अपने आप को स्टूडेंट्स, पेरेंट्स तथा मैनेजमेंट के सामने प्रूफ कर सकें और ऐसे में रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस का कांसेप्ट ना सिर्फ टीचर के आत्म विश्वास को बड़ा रहा है बल्कि क्लासरूम में इस कांसेप्ट की प्रैक्टिस से एक नए लर्निंग कल्चर का भी जन्म हो रहा है। स्टूडेंट्स पहले से ज्यादा रूचि ले रहे है, सीख रहे है और अपने सिलेबस के लिए अवेयर हो रहे हैं।
लाइफ की जर्नी में हर व्यक्ति, हर दिन तथा हर पल हमे कुछ न कुछ सीखने के लिए आता है और यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि उस सीख को अपने जीवन में हम किस प्रकार अपनाते है। अगर हम शिक्षा की बात करें तो हर व्यक्ति दो जगह से शिक्षा प्राप्त करता है पहली घर के मेंबर्स से तथा दूसरी टीचर्स से।
जीवन में टीचर का बहुत ही एहम रोल होता है क्योंकि वह ही स्टूडेंट्स / युवा को सही राह दिखता है और उसका उज्जवल भविष्य बनाता है। इसलिए समाज में टीचर बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति होता है।
इन्हीं जिम्मेदारियों की बात करने के लिए समाज सेवा और सहयोग के लिए अपनेपन के भाव से बनाई गयी वेबसाइट GSW के माध्यम से Mr. गौरव शर्मा द्वारा टीचर की रिस्पांसिबिलिटी तथा रेस्पोंसिवनेस से अवगत कराने के लिए एक सेमीनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में जहाँ एक ओर मुझे रेस्पॉन्सिव टीचिंग कांसेप्ट की प्रैक्टिस को अपग्रेड करने का मौका मिला वहीँ दूसरी ओर कई सारे टीचर साथियों को इस कांसेप्ट के बारे में जानने का मौका।
इस सेमिनार में जापान में जॉब कर रहे Mr. गौरव शर्मा ने आये हुए टीचर्स का ध्यान निम्लिखित बिंदुओं पर डालने का प्रयाश किया
इन सारे बिंदुओं के माध्यम से गौरव शर्मा ने टीचर्स को एहसास कराने का प्रयाश किया कि सबसे पहले स्टूडेंट्स सेंट्रिक टीचिंग के बारे में सोचना चाहिए और दूसरा स्टूडेंट्स के उज्जवल भविष्य के बारे में जिम्मेदार रहना चाहिए।
जीवन में टीचर का बहुत ही एहम रोल होता है क्योंकि वह ही स्टूडेंट्स / युवा को सही राह दिखता है और उसका उज्जवल भविष्य बनाता है। इसलिए समाज में टीचर बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति होता है।
इन्हीं जिम्मेदारियों की बात करने के लिए समाज सेवा और सहयोग के लिए अपनेपन के भाव से बनाई गयी वेबसाइट GSW के माध्यम से Mr. गौरव शर्मा द्वारा टीचर की रिस्पांसिबिलिटी तथा रेस्पोंसिवनेस से अवगत कराने के लिए एक सेमीनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में जहाँ एक ओर मुझे रेस्पॉन्सिव टीचिंग कांसेप्ट की प्रैक्टिस को अपग्रेड करने का मौका मिला वहीँ दूसरी ओर कई सारे टीचर साथियों को इस कांसेप्ट के बारे में जानने का मौका।
इस सेमिनार में जापान में जॉब कर रहे Mr. गौरव शर्मा ने आये हुए टीचर्स का ध्यान निम्लिखित बिंदुओं पर डालने का प्रयाश किया
- टीचर बेहेवियर
- पर्सनालिटी डेवलपमेंट
- रेस्पॉन्सिव टीचिंग
- स्टडेंट्स इंटरेक्शन
- मैनेजमेंट को-ऑपरेशन
इन सारे बिंदुओं के माध्यम से गौरव शर्मा ने टीचर्स को एहसास कराने का प्रयाश किया कि सबसे पहले स्टूडेंट्स सेंट्रिक टीचिंग के बारे में सोचना चाहिए और दूसरा स्टूडेंट्स के उज्जवल भविष्य के बारे में जिम्मेदार रहना चाहिए।
इस इवेंट में से रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस को और अधिक जानने के बाद मैंने क्लासरूम तथा स्कूल में दो बातों की प्रैक्टिस करना स्टार्ट किया।
1.
टीचर और स्टूडेंट के बीच अंडरस्टैंडिंग
Mr. गौरव शर्मा ने बताया की टीचर और स्टूडेंट के बीच बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग होनी चाहिए मतलब टीचर को टीचिंग को जॉब नहीं बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझ कर परफॉर्म करना चाहिए जिससे कि जब हम स्टूडेंट को स्टडी के लिए पुश करें तो वह समझ जाये की यह उसके हित में है पर अगर आप जॉब की तरह स्टूडेंट के साथ ट्रीट करेंगे तो वह आपके डांटने पर आपसे दूर होता जायेगा और घर पर बताएगा।
रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस सेमिनार के माध्यम से मैंने जाना कि टीचर और स्टूडेंट के बीच अंडरस्टैंडिंग इतनी अच्छी होनी चाहिए की जैसे ही लेसन चेंज हो स्टूडेंट को तुम्हारा इन्तजार होना चाहिए ऐसा कभी भी ना हो कि स्टूडेंट्स सोचे की आज मेडम या सर ना आएं। इस पॉइंट के बारे में मैंने पहले नहीं सोचा पर हां इतना जरूर सोचते थे की स्टूडेंट्स की पसिन्दा टीचर हों।
1.
टीचर और स्टूडेंट के बीच अंडरस्टैंडिंग
Mr. गौरव शर्मा ने बताया की टीचर और स्टूडेंट के बीच बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग होनी चाहिए मतलब टीचर को टीचिंग को जॉब नहीं बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझ कर परफॉर्म करना चाहिए जिससे कि जब हम स्टूडेंट को स्टडी के लिए पुश करें तो वह समझ जाये की यह उसके हित में है पर अगर आप जॉब की तरह स्टूडेंट के साथ ट्रीट करेंगे तो वह आपके डांटने पर आपसे दूर होता जायेगा और घर पर बताएगा।
रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस सेमिनार के माध्यम से मैंने जाना कि टीचर और स्टूडेंट के बीच अंडरस्टैंडिंग इतनी अच्छी होनी चाहिए की जैसे ही लेसन चेंज हो स्टूडेंट को तुम्हारा इन्तजार होना चाहिए ऐसा कभी भी ना हो कि स्टूडेंट्स सोचे की आज मेडम या सर ना आएं। इस पॉइंट के बारे में मैंने पहले नहीं सोचा पर हां इतना जरूर सोचते थे की स्टूडेंट्स की पसिन्दा टीचर हों।
घंटी बजने के बाद टीचर क्लासरूम में बाद में आते है उनसे पहले उनकी इमेज स्टूडेंट्स के माइंड में आती है और इसी इमेज के प्रभाव से स्टूडेंट के लर्निंग ऐटिटूड का निर्धारण होता है।
2
स्टूडेंट्स से लगाव
में प्रे प्राइमरी टीचर हूँ और किड्स को पढ़ना, उनके साथ खेलना, एक्टिविटीज को नोटिस करना और फिर उन्हें समझना अच्छा लगता है। किड्स मेरे आने का वेट करते है और जिस दिन में लीव पर होती हूँ और अगले दिन कुछ टीचर्स बताते हैं की बच्चे तुम्हे मिस करते हैं तो ये सुन कर अच्छा लगता है और ख़ुशी भी होती है तथा उनके लिए और मेहनत करने को मन करता है।
फर्स्ट to थर्ड क्लास में कंप्यूटर भी पढ़ाती हूँ फर्स्ट और सेकंड क्लास के स्टूडेंट तो स्टडी का वेट करते हैं पर थर्ड क्लास का स्टूडेंट नार्मल बेहव रखता है ये बात मैंने Responsive Teaching Experience सेमिनार के बाद नोटिस की और फिर स्टूडेंट के साथ टीचिंग का तरीका चेंज किया उसके साथ फ्रेंडली हो कर पता किया की कंप्यूटर क्यों अच्छा नहीं लगता, प्रॉब्लम पता लगने के बाद मैंने उस पर काम किया और अब बहुत अच्छा लगता है क्योंकि question पूरा होने से पहले ही वह जबाब दे रहा है और computer में इंटरेस्ट डे बाय डे इम्प्रूव भी कर रहा है।
Mr. गौरव शर्मा ने रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस के बारे में विस्तार से बताया और समझाया कि जो टीचर इस बात को समझता है कि टीचिंग जॉब रिस्पांसिबिलिटी है मैनेजमेंट भी उस टीचर को समझता है। मैंने अपने इस रेस्पॉन्सिव नेचर तथा टीचिंग की वजह से मैनेजमेंट में जगह बनाई है तथा साथ की साथ स्कूल मैनेजमेंट के साथ टीम की तरह काम करके उनका भरोषा भी प्राप्त किया है।
मेरा स्टूडेंट्स के साथ बहुत लगाव है जब भी कोई स्टूडेंट एब्सेंट होता है में उसकी इनफार्मेशन लेती हूँ। इसी लगाव के चलते मेरे साथी टीचर्स कहते हैं कि तुम बिलकुल उनके जैसी हो गयी हो, तुम्हारा फेस पर बच्चो जैसी इनोसेंट आती है तुम क्यों उनकी दूसरी मम्मी बन रही हो और कभी कभी वो कहते भी हैं की ये देखो स्टूडेंट्स की सेकंड मम्मी आ गयी।
स्टूडेंट्स से लगाव
में प्रे प्राइमरी टीचर हूँ और किड्स को पढ़ना, उनके साथ खेलना, एक्टिविटीज को नोटिस करना और फिर उन्हें समझना अच्छा लगता है। किड्स मेरे आने का वेट करते है और जिस दिन में लीव पर होती हूँ और अगले दिन कुछ टीचर्स बताते हैं की बच्चे तुम्हे मिस करते हैं तो ये सुन कर अच्छा लगता है और ख़ुशी भी होती है तथा उनके लिए और मेहनत करने को मन करता है।
फर्स्ट to थर्ड क्लास में कंप्यूटर भी पढ़ाती हूँ फर्स्ट और सेकंड क्लास के स्टूडेंट तो स्टडी का वेट करते हैं पर थर्ड क्लास का स्टूडेंट नार्मल बेहव रखता है ये बात मैंने Responsive Teaching Experience सेमिनार के बाद नोटिस की और फिर स्टूडेंट के साथ टीचिंग का तरीका चेंज किया उसके साथ फ्रेंडली हो कर पता किया की कंप्यूटर क्यों अच्छा नहीं लगता, प्रॉब्लम पता लगने के बाद मैंने उस पर काम किया और अब बहुत अच्छा लगता है क्योंकि question पूरा होने से पहले ही वह जबाब दे रहा है और computer में इंटरेस्ट डे बाय डे इम्प्रूव भी कर रहा है।
Mr. गौरव शर्मा ने रेस्पॉन्सिव टीचिंग एक्सपीरियंस के बारे में विस्तार से बताया और समझाया कि जो टीचर इस बात को समझता है कि टीचिंग जॉब रिस्पांसिबिलिटी है मैनेजमेंट भी उस टीचर को समझता है। मैंने अपने इस रेस्पॉन्सिव नेचर तथा टीचिंग की वजह से मैनेजमेंट में जगह बनाई है तथा साथ की साथ स्कूल मैनेजमेंट के साथ टीम की तरह काम करके उनका भरोषा भी प्राप्त किया है।
मेरा स्टूडेंट्स के साथ बहुत लगाव है जब भी कोई स्टूडेंट एब्सेंट होता है में उसकी इनफार्मेशन लेती हूँ। इसी लगाव के चलते मेरे साथी टीचर्स कहते हैं कि तुम बिलकुल उनके जैसी हो गयी हो, तुम्हारा फेस पर बच्चो जैसी इनोसेंट आती है तुम क्यों उनकी दूसरी मम्मी बन रही हो और कभी कभी वो कहते भी हैं की ये देखो स्टूडेंट्स की सेकंड मम्मी आ गयी।
जहाँ कभी कभी ऐसे कमैंट्स मुझे सोचने पर मजबूर कर देते है की यह भी तो टीचर्स है फिर ऐसे कमैंट्स क्यों पर ऐसे कमैंट्स से ही मुझे रेस्पॉन्सिव होने का एहसास होता है और जब वही बच्चे क्लास में, स्टेज पर या एग्जाम में आउटस्टैंडिंग परफॉरमेंस करके दिखते हैं तो सारे टीचर्स न सिर्फ आश्चर्य करते हैं बल्कि मेरे काम की तारीफ भी उनकी बातों का हिस्सा बन जाती है और यही मेरी ख़ुशी हैं क्योंकि मेरी मेहनत का रिजल्ट वही स्टूडेंट देते हैं।