नकारात्मक विचार
मन नकारात्मक विचारों पर ज्यादा फोकस कर रहा है। सारे नकारात्मक विचारों को एक साथ ला कर एक ऐसी कल्पना कर रहा है जिसमे सिर्फ और सिर्फ आशाएं दम तोड़ रही हैं पर फिर भी मन इस कल्पना मैं इतना व्यस्त हो गया है की आशा की कोई एक भी लहर को नकरात्नक विचारों तक पहुँचने से पहले ही मिटा दे रहा है , पहली बार एहसास हो रहा है मन मेरे ही विरुद्ध काम कर रहा है।
मन मेरे खिलाफ है
पर बहुत खुश हो रहा है और मैं साफ़ साफ़ फर्क देख पा रहा हूँ की कैसे अपनी ही बर्बादी की पिक्चर बना रहा है और सबसे बड़ी बात मुझे ही इस पिक्चर का हीरो बना दिया है।
सब नेगेटिव विचारों और इमेजेज को इतने बड़े लेवल पर संयोजित कर रहा है की छन भर मैं ही मेरे अंदर एक सीन बन कर तैयार हो रहा है और इस सीन को देखने के बाद मेरी अंदर एक अजीब सी अनुभूति हो रही है मन पूरी तरीके से मुझे अपने आहोश मैं लेता जा रहा है और यह सिर्फ एक सीन नहीं बना रहा है बल्कि सेकंड के एक अंश में ही कई सारे ऐसे सीन तैयार कर चूका है और एक एक सीन को मुझे रिपीट कर कर के बार बार दिखा रहा है।
सब नेगेटिव विचारों और इमेजेज को इतने बड़े लेवल पर संयोजित कर रहा है की छन भर मैं ही मेरे अंदर एक सीन बन कर तैयार हो रहा है और इस सीन को देखने के बाद मेरी अंदर एक अजीब सी अनुभूति हो रही है मन पूरी तरीके से मुझे अपने आहोश मैं लेता जा रहा है और यह सिर्फ एक सीन नहीं बना रहा है बल्कि सेकंड के एक अंश में ही कई सारे ऐसे सीन तैयार कर चूका है और एक एक सीन को मुझे रिपीट कर कर के बार बार दिखा रहा है।
आधिपत्य
मैं इस मैं फसता ही जा रहा हूँ और अनुभव कर रहा हूँ कि उस विनाश को जो बिलकुल काल्पनिक है और मैं इस छन यह भी देख पा रहा हूँ की मन जिस भी काल्पनिक घटना को मुझे मेरे भीतर महसूस करा रहा है कुछ समय बाद वो उसे वास्तविक भी करके दिखा देगा क्योंकि चेतना का सारा अधिकार वो अपने अधीन करता जा रहा है और धीरे धीरे मेरे सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को काम करता जा रहा है।
मन बुद्धि पर हावी है
मेरी आत्मा की बहुमूल्य चेतना का सारा अधिकार मन अपने अधीन करता जा रहा है और धीरे धीरे बुद्धि निर्बल होती जा रही है और मैं अंधकार मैं डूबता जा रहा हूँ।
पता क्या हो रहा है मुद्दों पर मुल्यांकन करने, तथ्यों का निर्धारण करने, सही और गलत का फैसला करने और बिंदुओं पर विचार करने की तार्किक शक्तियों को पूरी तरह से दमन कर हो रहा है और यह दमन करने वाला कोई बहार का नहीं है बल्कि खुद मेरा मन है। मैं जान गया हूँ की धीरे धीरे मेरी पूरी बुद्धि मन के अधीन हो जाएगी और फिर मुद्दों पर फैसला पूरी तरह से मन के द्वारा कर दिया जायेगा और मेरे पास बुद्धि होते हुए भी मैं कुछ नहीं कर पाउँगा। यह मन उस अवस्था मैं है जो मुझे विनाश का अनुभव कराएगी और मैं चुपचाप देखता रह जाऊंगा।
पता क्या हो रहा है मुद्दों पर मुल्यांकन करने, तथ्यों का निर्धारण करने, सही और गलत का फैसला करने और बिंदुओं पर विचार करने की तार्किक शक्तियों को पूरी तरह से दमन कर हो रहा है और यह दमन करने वाला कोई बहार का नहीं है बल्कि खुद मेरा मन है। मैं जान गया हूँ की धीरे धीरे मेरी पूरी बुद्धि मन के अधीन हो जाएगी और फिर मुद्दों पर फैसला पूरी तरह से मन के द्वारा कर दिया जायेगा और मेरे पास बुद्धि होते हुए भी मैं कुछ नहीं कर पाउँगा। यह मन उस अवस्था मैं है जो मुझे विनाश का अनुभव कराएगी और मैं चुपचाप देखता रह जाऊंगा।
बुद्धि का आखिरी प्रयास
मन चाहे कितना भी हाबी क्यों ना हो जाये पर बुद्धि अपने आखिरी प्रयास करने की योग्यता को हमेशा पूरी करेगी बस जागे रहने की जरुरत है क्योंकि अगर यह वाला प्रयाश हो गया तो खेल बदल जायेगा।
कल्पनाओं के द्वारा योजना को विफल करने के लिए सारे प्रयाश मन द्वारा बड़े लेवल पर किये जा रहे हैं और आशा की किरणें कही भी नहीं दिख रही है अब तो कोई चमत्कार ही हो सकता है जो फिर से वही काम करा दे जो आनदमय है, जिसके होने से प्रकर्ति झूम उठे, चरों तरफ उज्ज्वल प्रकाश हो और उन सब के बीच वो सुनहरी ख़ुशी जो बाहें फैला कर स्वागत करे।
कल्पनाओं के द्वारा योजना को विफल करने के लिए सारे प्रयाश मन द्वारा बड़े लेवल पर किये जा रहे हैं और आशा की किरणें कही भी नहीं दिख रही है अब तो कोई चमत्कार ही हो सकता है जो फिर से वही काम करा दे जो आनदमय है, जिसके होने से प्रकर्ति झूम उठे, चरों तरफ उज्ज्वल प्रकाश हो और उन सब के बीच वो सुनहरी ख़ुशी जो बाहें फैला कर स्वागत करे।
मीना कुमारी: विपरीत स्थिति के दौरान मन नकारात्मक ही क्यों सोचने लगता है और ऐसा करने से उसे क्या हाशिल होता है।
विश्वास की कमी के कारण मन नकारात्मक बातें सोचने लगता है। तुम गौर करना जब भी तुम किसी विपरीत स्थिति मैं होती हो तो मन सबसे पहले तुम्हारे विश्वास को भी डग मगाने की कोशिश स्टार्ट करता है और जैसे ही वो तुम्हारे विश्वास को तोड़ देता है स्थिति तुम्हारे नियंत्रण से बहार चली जाती हैं पर अगर तुम अपने विश्वास पर अटल रहीं तो यही मन सकारात्मक सोचना प्रारम्भ कर देता है। दूसरी बात, नकारात्मक सोचने से मन तुम्हारे अंदर अज्ञान का अंधकार पैदा करने मैं सफल हो जाता है और इस अंधकार को बनाने के पीछे मन का एक ही उद्देश्य है और वो है बुद्धि की शक्ति को छीर्ण करना। |
हम सब यहाँ अनुभव करने के लिए है और ध्यान रखने वाली बात यह कि किसी एक अनुभव से पूरी ज़िंदगी की पिक्चर को नहीं तोला जाना चाहिये ।
नगेटिव पर जाने से अच्छा है कि ज़ीरो पर बैठ जाना !
Gaurav Sharma, Tokyo,Japan.
नगेटिव पर जाने से अच्छा है कि ज़ीरो पर बैठ जाना !
Gaurav Sharma, Tokyo,Japan.