जान कर और अनजाने में बहुत से लोग तुम्हारे विचारों को दिशा दे रहे हैं पर तुम तो जाग रहे हो, तुम्हारे तो सपने हैं ना, तुम तो चाहते हो ना कि जिस जिंदगी की कल्पना की है वही जिंदगी जीनी है तो फिर क्यों अपने विचारों को उस दिशा मैं जाने दे रहे हो जहाँ हर पल निराशा के साथ रहना पड़ेगा।
प्रार्थना करो उन सभी लोगो से जो तुम्हारी भावना, तुम्हारे सपने और तुम्हारे अनुभव को सिमित कर रहे है और उनसे कहो कि कृपया करके मेरी आशाओं को मत मारो फिर चाहे वो तुम्हारा भाई हो, मम्मी हों या कोई दोस्त।
क्योंकि कल क्या होगा वो उन्हें भी नहीं पता है तुम हारोगे या जीतोगे, तुम्हारे सपने पूरे होंगे या अधूरे रह जायेंगे, तुम्हे अपनी जिन्दी के सुखद एहसास होंगें या दुखद किसी को कुछ नहीं पता है और एक बात उनके एहसासों के अनुमानों पर, उनकी जिंदगी के नजरिये पर, उनकी सफलता और असफलता के परिणामो पर वो तुम्हारी जिंदगी का अनुमान नहीं लगा सकते।
क्योंकि कल क्या होगा वो उन्हें भी नहीं पता है तुम हारोगे या जीतोगे, तुम्हारे सपने पूरे होंगे या अधूरे रह जायेंगे, तुम्हे अपनी जिन्दी के सुखद एहसास होंगें या दुखद किसी को कुछ नहीं पता है और एक बात उनके एहसासों के अनुमानों पर, उनकी जिंदगी के नजरिये पर, उनकी सफलता और असफलता के परिणामो पर वो तुम्हारी जिंदगी का अनुमान नहीं लगा सकते।
इसलिए उन्हें समझाओ की मेरी भावनाओं की अभेलना करना बंद करो, मेरे सपनो के बारे मैं अनुमान लगाना बंद करों और मेरे जीवन के अनुभव को किसी परिधि मैं कैद मत करो।
तुम्हे पता है आशाएं तुम्हारे अंदर क्या करती हैं ? आशाएं तुम्हारे अंदर सम्भावनाओ की लहार उठती हैं और यह लहरें तुम्हारे सारे विचारों को सिर्फ एक ही मंजिल तक पहुँचाने का प्रयाश करती हैं और वो मंजिल है जहां सिर्फ सुखद अनुभव तुम्हे हर पल, हर माहौल और हर चुनौती मैं विजयी होने का एहसास कराती है।
और पता है क्या होता है जब ये सारी आशाएं मारी जा रही होती हैं ? तुम्हारे सारे विचार नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, उस चीज की निराशा जो अभी हुई ही नहीं है और कल भी होगी या नहीं कोई पता है, के साथ हो लेते है और यह सारे निराशावादी विचारों का समूह धीरे-धीरे सिर्फ एक ही भावना तुम्हारे अंदर विकशित करने लग जाते हैं और वो भावना है - कि मैं यह नहीं कर सकता।
और पता है क्या होता है जब ये सारी आशाएं मारी जा रही होती हैं ? तुम्हारे सारे विचार नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, उस चीज की निराशा जो अभी हुई ही नहीं है और कल भी होगी या नहीं कोई पता है, के साथ हो लेते है और यह सारे निराशावादी विचारों का समूह धीरे-धीरे सिर्फ एक ही भावना तुम्हारे अंदर विकशित करने लग जाते हैं और वो भावना है - कि मैं यह नहीं कर सकता।
और जिस इंसान के अंदर भावना ही यह घर कर गयी है की मैं यह नहीं कर सकता , क्या वो पहुंच पायेगा कभी किसी भी ऊचे मुकाम तक, क्या वो मिल पायेगा अपने अंदर के सच्चे अहंकार से और क्या वो महसूस कर पायेगा अपने अंदर के परमात्मा को।
जिस इंसान को अपने अंदर के परमात्मा के होने का आभाष नहीं है उसके लिए बाहर ना तो कभी भगवान मिल पाएंगे और ना ही मंदिरों की प्राथनाओं का कोई असर होगा।
जिस इंसान को अपने अंदर के परमात्मा के होने का आभाष नहीं है उसके लिए बाहर ना तो कभी भगवान मिल पाएंगे और ना ही मंदिरों की प्राथनाओं का कोई असर होगा।
इसलिए पहले उन इंसानों से प्राथना करों जो तुम्हारी आशाओं का दमन कर रहें हैं कहो कि मेरी आशाओं को मत मारो, फिर देखना आशाएं फलने-फूलने लग जाएँगी और तुम्हारा जो भी सपना है उसे तुम आज से ही अपने अंदर साकार होते देख पा रहे होंगें।
जिंदगी वही जीना जिसकी कल्पना कर रहे हो !
Gaurav Sharma, Tokyo,Japan.
जिंदगी वही जीना जिसकी कल्पना कर रहे हो !
Gaurav Sharma, Tokyo,Japan.