जीवन का परिचय
अनन्त ब्रह्मांड में श्री भगवान द्वारा रची गयीं सर्व श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है जीवन। इसमें शाश्वत आत्मा, बेशुमार इच्छाएँ, पूर्ण आज़ादी , सुखी जीवन आदि पहलुओं को बहुत ही सुंदर ढंग से संजोया गया है।
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जीवन दो स्त्रवों स्खलनों का प्रतिफल नहीं → जीवन की सच्चाई वास्तव में जीवन का जन्म तथा मरण से कोई सम्बंध नहीं होता। बल्कि सच तो यह है कि जीवन; जीव यानी कि आत्मा से सम्बंधित है और उसी के साथ साथ रहता है। जीवन का लक्षण है कामना → जीवन इच्छाओं का रूप है जीवन भौतिक सुख और आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करने वाली बेशुमार इच्छाओं का स्वरूप है चाहे इच्छा अच्छी हो या बुरी; परमात्मा सब को पूरा करने का अवसर प्रदान करते हैं। |
चरम जीवन सिद्धि के लिए प्रयत्न → आत्मा को मुक्त करने के लिए मिला है मानव जीवन जीवन आत्मा से सम्बंधित होता है और आत्मा को मुक्त होना होता है किंतु मुक्त होने के लिए बुद्धि की ज़रूरत होती है और यह ज़रूरी बुद्धि होती है इंसानों के पास। जीवन का उद्देश्य दिव्य भगवान को समझना है → दिव्य समझ से जियें सुखी जीवन जीने की चाह इच्छाओं पर और इच्छाएँ समझ पर निर्भर है इस प्रकार जैसे जैसे हमारी समझ भौतिकवाद से अध्यात्मवाद की बनती जाती है वैसे-वैसे जीवन सुखमय होने लगता है। |