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राजा चित्रकेतु की परमेश्वर से भेंट

मानव जीवन की पूर्णता

मानव जीवन की पूर्णता
मनुष्य को यह समझ लेना चाहिए कि जो व्यक्ति अपने भौतिक अनुभवों पर गर्व करते हैं उन्हें जगते, सोते तथा प्रगाढ़ निंद्रा में कल्पित किए गये फलों के विपरीत फल मिलते हैं। मनुष्य को यह भी चाहिए कि यद्दपी भौतिकवादी व्यक्ति के लिए आत्मा को देख पाना दुष्कर है तो भी वह इन समस्त स्थितियों से परे है और उसे अपने विवेक के आधार पर इस जन्म में अगले जन्म में सकाम क्रम फल की इच्छा का परित्याग कर देना चाहिए। इस प्रकार दिव्य ज्ञान में अनुभवी बन कर ही मनुष्य को मेरा भक्त बनना चाहिए।
जो पुरुष जीवन के परम उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि वे परम पुरुष तथा जीवात्मा का भली - भाँति अवलोकन करें, जो अंश तथा पूर्ण होने के कारण गुण रूप से एक ही हैं। जीवन की यही सबसे बड़ी समझ है। इससे बढ़ कर और कोई सत्य नही है।
हे राजन! यदि तुम भौतिक सुख से विरक्त रह कर अत्यंत श्रद्धा सहित मुझ में संलग्न होकर ज्ञान तथा इसकी जीवन में व्यवहारिकता में निपूर्ण बन कर मेरे इस निष्कर्ष को स्वीकार करोगे, तो तुम मुझे प्राप्त करके परम पूर्णता को प्राप्त करोगे।
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