श्री भगवान भौतिक प्रकृति में गर्भाधान करते हैं
जब पूर्ण पुरूषोत्म भगवान अपनी अंतरगी शक्ति से भौतिक प्रकृति का गर्भाधान करते हैं, तो भौतिक प्रकृति समग्र विराट बुद्धि को उत्पन्न करती है, जिसे हिरण्मय कहते हैं । यह तब घटित होता है जब भौतिक प्रकृति बद्ध जीवों के गंतव्यों द्वारा क्षुब्ध की जाती है ।
श्री मद भगवद गीता में भौतिक प्रकृति के इस गर्भाधान का वर्णन है । प्रकृति का मुख्य कारक महत् तत्व या समस्त विविधताओं के प्रजनन का स्त्रोत है । प्रकृति का यह अंश, जो प्रधान के साथ साथ ब्रह्म भी कहलाता है उसमें पूर्ण पुरूषोत्म भगवान द्वारा वीर्य स्थापित (गर्भाधान) किया जाता है, जिससे नाना प्रकार के जीव उत्पन्न होते हैं । इस प्रसंग में भौतिक प्रकृति को ब्रह्म कहा गया है क्योंकि यह आध्यात्मिक प्रकृति का विकृत प्रतिबिंब है।
श्री मद भगवद गीता में भौतिक प्रकृति के इस गर्भाधान का वर्णन है । प्रकृति का मुख्य कारक महत् तत्व या समस्त विविधताओं के प्रजनन का स्त्रोत है । प्रकृति का यह अंश, जो प्रधान के साथ साथ ब्रह्म भी कहलाता है उसमें पूर्ण पुरूषोत्म भगवान द्वारा वीर्य स्थापित (गर्भाधान) किया जाता है, जिससे नाना प्रकार के जीव उत्पन्न होते हैं । इस प्रसंग में भौतिक प्रकृति को ब्रह्म कहा गया है क्योंकि यह आध्यात्मिक प्रकृति का विकृत प्रतिबिंब है।
विष्णु पुराण में वर्णन आया है कि जीव आत्माएँ आध्यात्मिक प्रकृति से सम्बंधित होते हैं । जैसा कि ज्ञात है, श्री भगवान की शक्ति आध्यात्मिक है और जीवात्मा भी, यदपी तटस्था शक्ति कहलाती है किंतु साथ ही वे आध्यात्मिक भी होती हैं ।
इस प्रकार तेजस्वी महत् तत्व, जिसके अंदर सम्पूर्ण ब्रह्मांड समाया है, और जो समस्त दृश्य जगत का मूल है और जो प्रलय के समय भी नष्ट नहीं होता, बल्कि अपनी विविधता प्रकट करके उस अंधकार को निगल जाता है, जिससे प्रलय के समय तेज को ढक लिया था। सत्त्वगुण, जो श्री भगवान का ज्ञान प्राप्त करने की स्वच्छ, सौम्य अवस्था है और जो सामान्यत : श्री वासुदेव या चेतना कहलाता है, महत् तत्व में प्रकट होता है ।
इस प्रकार तेजस्वी महत् तत्व, जिसके अंदर सम्पूर्ण ब्रह्मांड समाया है, और जो समस्त दृश्य जगत का मूल है और जो प्रलय के समय भी नष्ट नहीं होता, बल्कि अपनी विविधता प्रकट करके उस अंधकार को निगल जाता है, जिससे प्रलय के समय तेज को ढक लिया था। सत्त्वगुण, जो श्री भगवान का ज्ञान प्राप्त करने की स्वच्छ, सौम्य अवस्था है और जो सामान्यत : श्री वासुदेव या चेतना कहलाता है, महत् तत्व में प्रकट होता है ।
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