जब हम किसी से इम्प्रेस्सेड हो जाते है तो हम उससे कनेक्ट भी हो जाते है, हमारा उससे लगाव हो जाता है और हमारा मन जब चाहे इस कनेक्शन को एक्सेस करके उस लगाव को अनुभव भी कर सकता है।
किसी से इम्प्रेशन होने के बाद जैसे जैसे नंबर ऑफ़ इंटरेक्शन बढ़ते जाते है तो हमारे इम्प्रैशन और ज्यादा होते जाते है। पर्याप्त इम्प्रैशन होने के बाद हम उस पर्सन से लगाव महसूस करने लग जाते है, लगाव से हमें आशा वादिता विचार मजबूती देते है और मन के द्वारा हम अनुभव करना प्रारम्भ करते है।
अब यहाँ बात आती है की हम कैसे किसी पर्सन को कांटेक्ट करते है, उसके बारे में महसूस करते है, उसका एहसास करते है और यहाँ तक की हायर लेवल के इम्प्रैशन होने की कंडीशन में बिना फिजिकल प्रजेंस के उसका होने का भी अनुभव कर लेते है।
देखो हो क्या रहा है की जिस भी पर्सन के बारे में तुम सोच विचार कर रहे हो इसका मतलब है उसकी इमेज तुम्हारे पास है पास होने का मतलब सिर्फ फ़ोन में ही नहीं होता यहाँ मन के सन्दर्भ में इमेज पास होने का मतलब है कि आपके चित में उस पर्सन के इम्प्रैशन स्टोर हैं और आध्यात्म साइंस में इसका टेक्निकल प्रोसेस यह होता है कि इमेज के साथ उस पर्सन की चेतना वहां आपके अंदर भी और स्वम् उस पर्सन के अंदर भी है।
अब यहाँ से मन का काम आसान हो जाता है और वो तुम्हारे चित में स्टोर चेतना और उस पर्सन की चेतना को को ब्रिज की तरह उपयोग करना शुरू कर देता है और जब चाहे उस पर्सन से कंटेंट कर सकता है और अनुभव भी कर सकता है।
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