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भगवान श्री कृष्ण का जन्म

प्रयोगशाला में जीवन क्यों उत्पन्न नहीं किया जा सकता?

​अनन्त ब्रह्मांड में श्री भगवान द्वारा रची गयीं सर्व श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है जीवनPicture
प्रयोगशाला में जीवन क्यों उत्पन्न नहीं किया जा सकता?
* ध्यान दें - इस ​वार्तालाप के लिए प्रश्न पूछने की सुविधा अंत में उपलब्ध है ।

हे प्रभु ! विद्वान वैदिक पंडित कहते हैं कि सम्पूर्ण विश्व का सर्जन, पालन एवं संहार आपके द्वारा होता है तथा आप प्रयास से मुक्त, भौतिक प्रकृति के गुणों से अप्रभावित तथा अपनी दिव्य स्थिति में अपरिवर्तित रहते हैं। आप परम ब्रह्म अर्थात पूर्ण पुरुषोत्तम परमेश्वर हैं और आप में कोई विरोध नहीं है। चूँकि भौतिक प्रकृति  के तीनों गुणों सतो, रंजो तथा तमोगुण आपके नियंत्रण में हैं, अतः सारी घटनाएँ स्वतः घटित होती हैं
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श्री भगवान की शक्तियाँ अनन्त हैं अतः सारी घटनाएँ सुचारू रूप से घटित रहती हैं।​
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जिंदगी से जुड़े सारे सवालों, शंकाओं तथा इंसानों के जीवन के सारे पहलुओं का आध्यात्मिक ज्ञान यहाँ उपलब्ध है।
जीवन का परिचय
“श्री भगवान को ना तो कुछ करना होता है और ना कोई उनके तुल्य है, न उनसे बढ़ कर ही हैं, क्योंकि सारी घटनाएँ उनकी अनेक शक्तियों द्वारा स्वतः सुचारू रूप से घटित होती रहती हैं। ” सर्जन, पालन तथा संहार इन टीनो का संचालन पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान स्वम करते हैं और इसकी पुष्टि श्री मद भगवद गीता में की गयी है। 

अँट्टोगतवा श्री भगवान को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती इसलिए वे निर्विकार अर्थात अप्र्व्र्त्निय कहलाते हैं । चूँकि हर घटना उनके निर्देशानुसर होती है, अतः वे सृष्टि कर्ता कहलाते हैं। इसी तरह वे संहार के स्वामी हैं । जब स्वामी एक स्थान पर आसीन रहता है और उसके कर्मचारी विभिन्न कार्य करते रहते हैं तो वे जो भी काम करते हैं, वह अंततः स्वामी का कार्य होता है यदपी वह कुछ भी नहीं करता।

श्री भगवान की शक्तियाँ अनन्त हैं अतः सारी घटनाएँ सुचारू रूप से घटित रहती हैं। श्री भगवान स्थिर हैं और इस भौतिक जगत में किसी भी वस्तु के प्रत्यक्ष कर्ता नहीं हैं। ​
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सवाल - जवाब 

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