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चेतना और इंप्रेशन

हम अपने जीवन में कई बार और कई तरह से लोगों, जगहों और वस्तुओं के संपर्क में आते है जिससे की हमें कुछ एहसास होना शुरू होता है।  प्रारंभिक तौर पर ये एहसास शारीरिक ज्ञान के आधार पर होता है तथा धीरे धीरे मानसिक स्तर और उसके बाद शास्वत लेवल के घ्यान के अनुसार इन एहसासों की अनुभूति बदलती जाती है। यह हमारे जीवन का सबसे सुखद विकशित होने का अनुभव है।  
जब किसी की चेतना आपके कांटेक्ट में आती है तो जाहिर से बात है चेतन हो जाते हो और उसी विषय के बारे में सोचना स्टार्ट करते हो जिस सन्दर्भ की चेतना से आप कनेक्टेड हो चुके हो। 

कोई भी चेतना जैसे की कोई इंसान जिससे आप इंटरेक्शन कर रहे हो तो आपका मन उसके बारे में ही सोचना शुरू करता है और अंदर स्पन्दन होना प्रारम्भ हो जाता है जिसके फलस्वरूप इम्प्रेस्सेड होना शुरू जो जाता है और जैसे जैसे स्पन्दन बढ़ते जाते है वैसे वैसे इम्प्रेस होना भी बढ़ता जाता है मतलन हो सकता है पहले आप फिजिकल प्रजेंस से इम्प्रेस हो, फिर प्रजेंस ऑफ़ माइंड से और भी कई सारे  भौतिक एक्सिस्टेंस होते है जिनसे इम्प्रेस हुआ जाता है। 

इम्प्रेस होने के बाद फिजिकल लेवल अथवा मेन्टल लेवल पर अनुभव करने की इच्छा का जन्म होता है जिसके द्वारा आप एक्शन करने के लिए प्रेरित होते है और अवसर की प्राप्ति पर अपनी बॉडी के माध्यम से फिसिकल लेवल पर परफॉर्म करते हो या फिर थॉट्स के माध्यम से मेन्टल लेवल पर परफॉर्म करते हो। जब परफॉर्म फिजिकल लेवल पर होते हैं तो सेंसेशन का अनुभव होता है और ये ख़ुशी लता है तथा जब मेंटल लेवल पर परफॉर्म होता है तो ये संतुष्टि लता है जिससे की अपेक्षा आती है और फ्यूचर में कुछ घटित होने के उम्मीद आती है। 

यहाँ जो इम्पोर्टेन्ट बात है वो यह है कि एक बार इम्प्रेस होने के बाद मैटर ये नहीं करता ही कितने बड़े या कितने छोटे लेवल पर इम्प्रैशन तुम्हारे चित पर मेंशन हुए है मैटर यह है कि तुम्हारा मन उन इम्प्रैशन को कभी भी एक्सेस करने का अधिकार रखता है और उनके आधार पर इमेजिन कर सकता है , इसका मतलब समझ पा रहे हो कुछ ? ध्यान देना यहाँ पर थोड़ा सा। 

चित पर इम्प्रैशन मेंशन होने का मतलब है सम्बंधित इंसान की चेतना का कुछ भाग वहां पर स्टोर है देखो इस पल बहुत फोकस करना पंक्तियों पर क्योंकि डीप नॉलेज है। 

हाँ तो जब कुछ भाग किसी पर्सन की चेतना का तुम्हारे चित पर स्टोर है तो इसका प्रभाव ये हो जाता है की तुम्हारा मन या बॉडी उस स्टोर चेतना को पा कर चेतन हो उठती है और खासकर मन इस चेतना को डोमिनेट मतलब बॉडी को पहले इन्वॉल्व ना कर कर खुद ही पूरी चेतना का उपयोग करना चाहता है और चुकीं मन के पास तुम्हारे सारे सेंसर का मास्टर होता है तो फिर बाद में ये पूरी बॉडी को भी इन्वॉल्व कर लेता है। 

अब मन बार बार सोचना, इमेजिन करना और एक्सपेक्टेशन करना शुरू करता है और जो अनुभव पहले से ही कर चूका है सबसे पहले उसकी ही इमेजिनेशन करना शुरू करता है पर ये चेंज होती रहती है और मन तथा बॉडी के लेवल पर इंटरेक्शन होना शुरू हो जाता है।  
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