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रानियाँ भगवान श्री कृष्ण की इंद्रियों को चंचल नहीं बना सकती

रानियाँ भगवान श्री कृष्ण की इंद्रियों को चंचल नहीं बना सकती 
श्री भगवान की पत्नियाँ उनके कमल जैसे सुंदर मुख, उनकी लम्बी बाहों, बड़ी बड़ी आँखों, हास्य से पूर्ण उनकी प्रेममयी चितवनों तथा अपने साथ उनकी महोहर बातें से पूर्ण रूप से मोहित थीं। किंतु ये स्त्रियाँ अपने समस्त आकर्षण के होते हुए भी सर्वशक्तिमान श्री भगवान के मन को अपने वश में नही कर पायीं। भगवान श्री कृष्ण की रानियाँ श्री भगवान को समझ नही सकीं। इस सत्य की विवेचना इस श्लोक इस श्लोक में की गयी है।
इन सोलह हज़ार रानियों की टेढ़ी भोहें उनके गुप्त मनोभावों को लज़िली हास्य युक्त तिरछी चितवनों से व्यक्त करती थीं। इस तरह उनकी भोहें निडर हो कर माधुर्य संदेश भेजती थीं। तो भी कम देव के इन बाणों तथा अन्य साधनों से वे सब भगवान श्री कृष्ण की इंद्रियों को उद्देलित नहीं कर सकीं।
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